Monthly Archives: April 2014

ख़्वाब

तुम ही मेरे ख़्वाब होतुम ही मेरे रुबाब होसजना तुम ही हो बंदगीमेरी जिंदगी के नवाब होतुम ही मेरे सवाल होतुम ही मेरे ख़याल होदुनिया की परवा मैं क्यों करूँमेरे ईश्क का तुम हर जवाब होतुम ही मेरे शबाब होतुम … Continue reading

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ताज

संगेमरमर सा बदन है तुम्हारा तुम ही हो ज़िंदा ताज हमारा देखते ही तुम्हें भूल जाऊं सारा नजारा कमसीनयत का भरा है पूरा खजाना …..संगेमरमर सा बदन है तुम्हारा ,तुम ही हो ज़िंदा ताज हमारा चहकती हो जैसे गए पपीहा … Continue reading

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काफ़िर

हर हसीन चहरे को दिल में बसाया नहीं जाता सब मुमताज़ के लिए ताज बनाया नहीं जाता मकान बालू की बुनियाद पे चुनवाया नहीं जाता एतबार – सच्चाई ना हो वहाँ रिश्ता निभाया नहीं जातादरिया में मकाम के जलसे का मशाल जलाया नहीं … Continue reading

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,,,,,,,,,,,તારા ગયા પછી

છવાય છે નાં કોઈ દૂર તારા ગયા પછીજીવાય છે ક્યાં દૂર તારા ગયા પછી ઘવાય છે દિલ દૂર તારા ગયા પછી જીરવાય છે ક્યાં દૂર તારા ગયા પછી ખવાય છે તન દૂર તારા ગયા પછી ખોવાય છે શમણે ક્યાં દૂર … Continue reading

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ચાહ

છટકવું છે ક્યાં મારે ભટકવું છે રાહ તારે ધરપવું છે ક્યાં મારે તરસવું છે ચાહ તારે ફરકવું છે ક્યાં મારે તડપવું છે આહ તારે ઝડપવું છે ક્યાં મારેવરસવું છે બાંહ તારે કમલેશ રવિશંકર રાવલ

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ख़्वाब

सहरा भी गीत गाने लगा, मौसम भी रुख बदलने लगा किया तूने क्या पीया जादू दिल में ख़्वाब सँवरने लगा भँवरा हर कली पे मंडराने लगा बगिया भी गुल खिलाने लगा तेरे शख्सियत की खुशबू से मनमंदिर मेरा महकाने लगा … Continue reading

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हमसफ़र

गिराना था जब नजरों से , तो दिल में बसाया क्यूँ…..बहा देना था यादों को आंसू में तो होठों पे सजाया क्यूँ भोंकना था खंजर पीठ में तो फिर गले हमें लगाया क्यूँ जलाने थे जज्बात जब मेरे सोए ख़्वाबों को … Continue reading

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फासले

याद कराते है भूले बिसरों को ये फासले ….राह दिखा देते हैं भटके हुओं को ये फासले परायों को अपना बना देते हैं ये फासले सफर में कारवाँ को तलाशते हैं ये फासले ले आते है करीब बिछड़े दिलों को ये फासले …मिला … Continue reading

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आगोश

मन को छू लिया है जो तूने लगा दी आग दिल में पिया तूने चूरा लिया है जिया अब तूने नींद भी चूरा ली है सब तूने छू के मेरे जज्बातों को मेरे बना ली है मुझे तेरी तूने गुमशुम रहती थी मैं तो,  भर … Continue reading

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ખ્વાબ

લૂંટાવતા રહ્યા લુત્ફ જિસ્મ નો લઝીઝ કબાબ બની છુપાવતા રહ્યા નજાકત ધરા એ રેશમી રબાબ બની નચાવતા રહ્યા ઇશારે એમને મયખાને શરાબ બનીલોભાવતા રહ્યા લાખો દિલો શબનમી શબાબ બની  નિભાવતા રહ્યા મોહબ્બત ના નાજુક રિશ્તા રેબાબ બનીવરસાવતા રહ્યા મહેર પરવરદિગાર મુજ … Continue reading

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