Category Archives: प्रक्रुति और ईश्वर

मेरी यह कवितायेँ परम कृपालु परमात्मा के सादर चरण में समर्पित है ,,,मेरे विचार से इश्वर विश्व के समग्र अंश में समाहित है ,,सारे धर्मों का सार और उद्देश्य मानवता, शान्ति और विश्व बंधुत्व है.. सुबह सुबह और किसी भी पल में जब भी परमात्मा मुझ में कोइ विचार स्फुरित कर के संवेदना जगाता है तब मैं मेरे उस अनुभवों को यहाँ “बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय” प्रकट कर के नर नारायण से जुड़ने की कोशिश करता रहता हूँ….आप भी मुजे अपना आत्मन समज के आप के भावनाओं के स्पर्श से आत्मीयता प्रदान करें!

संस्कृति

संस्कृति बचाना, किसी पक्ष की ज़ायदाद नहीं,चल चित्रों के विरोधी, धरोहर संवारने आमाद नहीं (आमाद = ईच्छा शक्ति) कुछ सालों से और पिछले दो दशकों से ख़ास तौर पर आए दिन संस्कृति के जतन के नाम पर कहीं उत्सवों पर … Continue reading

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destinationmanagement

From where we came and where we go?that God only knows, he send us on earth to achieve the best!for staying we have built the nest, One day wee need to flew away!why we should loose today in worry of … Continue reading

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Within

Silence is a lense to view within,Even you are in tense, review within. It helps us to break the barriers and fence within,Meditation provides opportunity to enhance within. The body and mental stress will go away from within,Once “yoga” flight … Continue reading

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रामराज्य

सच में ही अपने देश में आया राम राज  है?गा रही है रूदाली हर गांव, सारी बस्तियां बस ताराज हैं रोटी की तो थी किल्लत पर, अब तो हवा भी नहीं आसान,खुशी दिख नहीं रही कहीं, चहेरे सब मायूस _नाराज़ … Continue reading

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समस्या

कोशिश कर, जहन से सारा छल निकलेगा,कर ले दुआ दिल से, समस्या का हल निकलेगा देख मुश्किल हौंसला ना हार मेरे साथी,समाधान आज नहीं तो जरुर कल निकलेगा पुकार ले रब को, माँग ले उस की पनाह,कबूल कर लेगा गुनाह … Continue reading

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महामारी

पहले खलती थी दूरियाँ , अब नजदीकियाँ खल रही है,कल सुबह कैसी आएगी खबर? फिक्र में शाम ढल रही है काबू में करना चाहता था जो कायनात को कैद है घरों में,चारों और दहशत और मौत की हवा जोर से … Continue reading

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दिसम्बर

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मज़हब

राम -रहीम का नाम लेते ही हर चहेरे पे नूर हो जाए मज़हब की दूरियाँ कायम के लिए यूँ ही दूर हो जाए गिर जाए फिरका परस्ती की दिवारें और फैले भाईचारा तो दुनिया में मेरा हिंदोस्तान सब से मकदूर … Continue reading

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नियाज

मिलती नहीं तेरी नियत तेरे कारनामों से, आगाज़ बदल अल्फाजों और किरदार का मेल ही नहीं हैं आवाज़ बदल नहीं पहुँच रहे है सूर, बार बार दोहरा के भी रूह तक कुछ तो कमी होगी तेरी तालीम में थोडा रियाज … Continue reading

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तलाश

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