Monthly Archives: September 2016

सुकून

रातभर आज चॉंदनी को अपनी आग़ोश में समेटा जाएँआसमॉं की चद्दर बना के सुकून से उस पे लेटा जाएँ लग रही है रजनी अनुपम, श्रृंगार कर के लावण्यमयी  सितारों की ही साड़ी बुन के उस के बदन पे लपेटा जाएँ … Continue reading

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ગુલકંદ

એના હોઠો ના ગુલાબે હું મકરંદ થઇ ગયો હતો જે કડવો લીમડો એ ગુલકંદ થઇ ગયો હું કારા ને ફંૂકારા બોલાવતો હતો ભર બપોરે  એ સંધ્યા ટાણે શીતળ ને મંદ મંદ થઈ ગયો  ગોઠવાતો નહોતો વર્ણાનુપ્રાસ અલંકાર જ્યાં એ પંક્તિ માં … Continue reading

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जगदीश 

जगदीश बैठा कोख में और गोपी ग़ैरों को पुकारे कान्हा समा के सब कुछ निज में, जग को निहारे  पहचान लेती पल में लगाई होती गोती यदि भीतर  गंवा दी व्यर्थ जिंदगी सारी, बैठ के यमुना किनारे याद करा रहा … Continue reading

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