Monthly Archives: February 2020

आग

किस की निगाहों तले नफ़रत की आग पल रही है? कोई तो बताओ मुझे दिल्ली क्यूँ जल रही है? बोये थे जो बीज सियासतदानों ने वोट बटोरने, दिलों के खेतों से कत्ल की फसल फल रही है मिट रहा है … Continue reading

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रूबरू

रूबरू ना मिलना हो तो ख्वाबों में ना आया करो, रूलाना ही है हकीकत में, तो सपनों में ना हँसाया करो रख नहीं सकते हिंमत जमाने में ईश्क के ऐलान की, तो छुपछुप के हमें दिल में तुम यूँ ना … Continue reading

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भीतर-बाहर

लिखते लिखते बहुत कुछ सीखता हुँ, जो हुँ भीतर, बाहर भी वही दिखता हुँ उडने देता हूँ पंछीयों को आजा़द, नील गगन में, घूसते हैं जब औरों के घौंसलों में लकीर तभी खींचता हुँ गुलशन के गुलों को बरबाद होते … Continue reading

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चित्कार

भीतर चीखते मेरे अल्फाज़ सुन सको तो सूनो तुम! रुह की खामोशीयों की चित्कार सुन सको तो सूनो तुम! सिर्फ शोरबकोर नहीं ये नया इंकिलाबी ऐलान है, अवाम की जोश लल्कार सुन सको तो सूनो तुम! घुँघरुँ नहीं बाँधे है … Continue reading

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