Monthly Archives: April 2020

महामारी

पहले खलती थी दूरियाँ , अब नजदीकियाँ खल रही है,कल सुबह कैसी आएगी खबर? फिक्र में शाम ढल रही है काबू में करना चाहता था जो कायनात को कैद है घरों में,चारों और दहशत और मौत की हवा जोर से … Continue reading

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राग

कल जहाँ बाग था आज वहाँ आग है,चारों तरफ बस अब नफ़रत का राग है धो लिया प्रायश्चित से फिर भी जाता नहींना जाने आबरु पे कैसा ये दाग है दूर से ही ख़ैरियत पूछ, गले ना मिलकोरोना आस्तीन में … Continue reading

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