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पिता

सहरे की असहनीय धूप को भी सहता है पिता,ग्रीष्म की गर्मी में गुलमहोर सा निखरता है पिता भले हो भीगा, उन का प्रस्वेद से  लथबथ तनबदन,फिर भी मेहनत की खुशबू से महकता है हर पिता, ज़िंदगी की भगदौड़ में परिवार … Continue reading

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