Category Archives: संवेदना

संवेदना इंसान में होती है जिन के दिल में मानवता के भावनाएं होती हैं…पत्थर दिल इन्सान जानवर जल्दी बन जाता हैं…हम पृथ्वी पर मानवीय भावनाओं को जागृत कर के पृथ्वी को स्वर्ग बना सकते हैं…!!

मां

मां की ममता का कोई नाप नहीं,मां की फटकार भी कोई ताप नहीं, उन के आशीष आसान करेंगे हर राह,मां के आंचल से शीतल, कोई छांव नही उन की सेवा में समाया हैं स्वर्ग,मां को रुलाने से मोटा कोई पाप … Continue reading

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મચ્છુ

ભૂલી ગઈ તું સન ૧૯૭૯ માં હજારો ને ગઈ ‘તી તાણી?મચ્છુ તો’ યે તારી તરસ હજી કેમ ના છીપાણી? તહેવારો ના તાકડે તે લોકો ની ઉજાડી દિવાળી,શું ભૂલકાં, શું જવાન, સંધાય ને સાગમટા ગઈ ડૂબાડી,મચ્છુ તો’ યે તારી તરસ હજી … Continue reading

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मां

तू ही है मेरा जहां, तुम बिन मैं जाऊं कहां?तेरी गोद सी जन्नत और कहीं मैं पाऊं कहां? तेरे हाथ का निवाला, प्यार भरा चांदी का प्याला,मेरी मनपसंद हर रसोई, बिन तेरे संग मैं खाऊं कहां? तेरे गाने की लोरी, … Continue reading

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रामराज्य

सच में ही अपने देश में आया राम राज  है?गा रही है रूदाली हर गांव, सारी बस्तियां बस ताराज हैं रोटी की तो थी किल्लत पर, अब तो हवा भी नहीं आसान,खुशी दिख नहीं रही कहीं, चहेरे सब मायूस _नाराज़ … Continue reading

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રામરાજ

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मुलाकात

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मछली

मैं बहता पानी और वो खूब खेलती मछली रही,तबियत हमारी दोनों की मुलाकात को खलती रही एतबार किया था हमने उन पे रब की तरह जिंदगी में,पर मोहतरमा खुद और खुदा को हर कदम छलती रही दर्द नहीं था शमा … Continue reading

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रूबरू

रूबरू ना मिलना हो तो ख्वाबों में ना आया करो, रूलाना ही है हकीकत में, तो सपनों में ना हँसाया करो रख नहीं सकते हिंमत जमाने में ईश्क के ऐलान की, तो छुपछुप के हमें दिल में तुम यूँ ना … Continue reading

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चित्कार

भीतर चीखते मेरे अल्फाज़ सुन सको तो सूनो तुम! रुह की खामोशीयों की चित्कार सुन सको तो सूनो तुम! सिर्फ शोरबकोर नहीं ये नया इंकिलाबी ऐलान है, अवाम की जोश लल्कार सुन सको तो सूनो तुम! घुँघरुँ नहीं बाँधे है … Continue reading

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શ્વાસ

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